जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

कृष्णाय वासुदेवाय
 हरये परमात्मने ।
  प्रणत  क्लेशनाशाय
 गोविन्दाय नमोनमः ।



वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण भगवान को दुख हरनेवाले परमात्मा को शरण में आने वाले के क्लेशों को दूर करने वाले गोविंद को बार-बार नमस्कार हो




 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
   मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।


भावार्थ: श्रीकृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार है, फल की इच्छा करने का तुम्हारा अधिकार नहीं। कर्म करना और फल की इच्छा न करना, अर्थात फल की इच्छा किए बिना कर्म करना, क्योंकि मेरा काम फल देना है।




 

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